自话自念 发表于 2025-3-21 23:11:44

名言欣赏

冤家不可结,结了无休歇;侮人还自侮,说人还自说。                                                      ——警世通言

满仓 发表于 2025-3-21 23:16:39

路过

山岩泉水 发表于 2025-3-22 15:51:14

也是的

刘跃志 发表于 2025-3-22 16:55:22

好赞

自话自念 发表于 2025-3-23 22:16:15

满仓 发表于 2025-3-21 23:16
路过

晚上好

自话自念 发表于 2025-3-23 22:16:33

山岩泉水 发表于 2025-3-22 15:51
也是的

晚上好

自话自念 发表于 2025-3-23 22:16:50

刘跃志 发表于 2025-3-22 16:55
好赞

晚上好
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